RJ Kartik Story Hindi

एक छोटी सी rj kartik है जो जिंदगी के उसे तार तार को जोड़ देता है. जो हम पाना चाहते हैं लेकिन का नहीं पाते. हम करना चाहते हैं लेकिन कर नहीं पाए लेकिन ऐसे कुछ कहानियां जो हमें जिंदगी में आगे बढ़ाने के लिए मजबूत करती है. हमें प्रेरित करती है जिंदगी जीने के लिए. हमें प्रेरित करते हैं जिंदगी में आगे बढ़ाने के लिए और कल कुछ दिखाने के लिए की दुनिया में ऐसा कोई भी काम नहीं है जिसे हम नहीं कर सकते. आज हम फिर आपके लिए लेकर के आ गए हैं कार्तिक की.

कई खूबियों से भरी और दिल को छू जाने वाली दिलकश और माधुरी मोटिवेशनल स्टोरी जो आपको और आपके पूरे दोस्त सहकारों को जिंदगी के उसे आसान मोड में आपकी राह दिखाएं. तो चलिए दोस्तों बिना किसी देरी के सुनते हैं आरजे कार्तिक को.

डमरू कभी भी बज सकता है. | RJ Kartik Story Hindi

यह कहानी एक छोटी सी गांव की है. जहां के किसानों से नाराज होकर के इंद्रदेव ने कह दिया कि यहां 12 वर्षों तक फसल नहीं होंगे क्योंकि 12 वर्षों तक वर्षा नहीं होगी, बरसात नहीं होगी.

गांव के किसान इस बात को सुनकर बड़े परेशान हुए कि यह क्या हो गया ? उन्होंने दोबारा से प्रार्थना की, इंद्रदेव को प्रसन्न करने की बहुत कोशिश की, बहुत सारे प्रयास किया. उनकी इस प्रयास से इंद्रदेव फिर से पुनः प्रकट हुए. और बहुत प्रार्थना कर रहे थे सभी गांव के परेशान.

इंद्रदेव ने कहा कि चलो मैं आप सभी लोगों को उपाय बताता हूं- इसका उपाय यह है कि भगवान शिव जी अपना डमरु बजा दे उसे क्षण, ठीक उसी समय आपके इस गांव में बारिश हो जाएगी लेकिन आपको उनका प्रसन्न करना होगा.

उपाय बताने के बाद इंद्रदेव भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु आप वह डमरू मत बचाना. गांव की निशान के पास से मैं नाराज हो गया हूं, मैं ना प्रश्न हो गया मुझे क्रोध आया तो मैं कह दिया. आप मेरी बात रख देना.

गांव के सभी किसान ने मिलकर भगवान शंकर को प्रार्थना की, भगवान शिव जी को प्रसन्न करने की. भगवान शिव जी ने प्रश्न होकर दर्शन दिए तो किसानों ने वही बात रखी. इंद्रदेव नाराज हो गए, क्रोधित हो गए और आप डमरू बजती है जिससे बारिश हो जाएगी.

किसानों के बाद को सुनकर भगवान शिव जी ने भी कह दिया कि अब तो डमरू 12 वर्षों बाद ही बचेगा.

शिव की बात को सुनकर लगा कि अब तो कुछ नहीं हो सकता और वे सभी किसान बहुत ज्यादा परेशान हो गए. एक दूसरे से कहने लगी कि हमने सारे प्रयास कर लिए शिव जी को प्रसन्न करने के लिए अब क्या करें?

तो जो गांव के किसान थे वह अपने-अपने घरों में रहने लगे. उन्होंने अपना काम धंधा छोड़ दिया. जब बारिश होगी नहीं तो खेत में जाने का क्या मतलब, जब फसल होगी ही नहीं. लेकिन एक किसान था जो हर सुबह अपने हल लेकर के जाता था, खेत को जुट था, नींदई ,गुड़ाई सारी काम करते थे.

और बाकी के जो गांव के लोग थे. वह मजाक उड़ाते थे कि तुम पागल हो गए हो. जब तुम्हें पता है कि 12 वर्षों तक फसल होगी नहीं, वर्षा होगी नहीं तो किस बात को लेकर के तुम हल चलाने के लिए रोजाना चलाते हो.

वह जो किसान रोज जाता था अपने खेत में वह कहता है कि मैं रोजाना जाता हूं अपने खेत में, की कभी खेती करना ना भूल जाओ , खेती करना ना भूल जाऊं, मुझे याद रखना चाहिए की खेती कैसा होता है? इसीलिए यह जो प्रेक्टिस है इसको मैं निरंतर करते चलता हूं. मुझे पता है की बारिश नहीं होंगे लेकिन मैं अपना काम तो करता रहूं.

रोज वह यही करता था और उनके साथ में गांव के अन्य किसानों के साथ में वाद विवाद होता था.

माता पार्वती ने यह जो तार्किक चर्चा थी उसे सुन लिया और वह तुरंत शिव जी के पास गई और कहा कि गांव की किस आपस में बातचीत कर रहे हैं और एक-एक किसान ऐसा है जो रोज जाता है अपने खेत में, वह कहता है कि कहीं मैं खेती करना ना भूल जाऊं , इसलिए वह निरंतर प्रयास करता है. मुझे तो चिंता सता रही की है की कंही कि आप 12 वर्षों तक आप डमरू ना बजाए कि कहीं आप डमरू बजाना ना भूल जाए.

भगवान शिव जी को माता पार्वती के बात में दम लगा की उन्होंने डमरू उठाया की डमरू बाज रहा है कि नहीं बज रहा है. और जैसे ही उन्होंने डमरू उठाया और डमरू बजाया. उसी क्षण, इस पल गांव में वर्षा हो गई. जो गांव के किसान थे, बाकी के किसान थे वह मायूस हो गए , उदास हो गए. उन्होंने तो बीच बोय ही नहीं थे.

लेकिन वह एकमात्र किसान था जो निरंतर जाता था उसके खेतों में कुछ समय के बाद फसल लहलहाने लगी.

बहुत छोटी सी यह rj kartik कहानी सिखाती है कि डमरू कभी भी बज सकता है इसीलिए अपनी ओर से मेहनत करना मत छोड़िए. अभ्यास करना मत छोड़िए, निरंतर प्रयत्न करते रहिए जो आप. यदि आपको लगता है कि सारे दरवाजे बंद हो गए हैं तो पता नहीं कहां से कब कोई खिड़की खुल जाए. और आपको कहीं उम्मीद की कीड़ा नजर आ जाए.

विश्वास रखो ठाकुर जी पर सब संभाल लेंगे

दोस्तों यह कहानी RJ Kartik Story एक छोटी सी है. गांव में जाते थे तो पूछता था कि क्या हाल-चाल है तो हमेशा कहते थे कि ठाकुर जी जान मेरा हाल तो वही जानता है. ठाकुर जी का उसे गांव में एक छोटा सा मंदिर था.

यह जो भक्त थे उनके परिवार में एक बिटिया थी एक छोटा सा परिवार था. जब बिटिया की शादी की बात आई तो पैसा चाहिए था. लेकिन घर में पैसा नहीं थी. तो उधार लेने के लिए गांव के एक बड़े सेठ जी के पास में पहुंचे और पैसा लेकर के आ गए और उन पैसों से बिटिया की शादी की.

कुछ साल बीते उसके बाद में इसके बच्चे नौकरी करने के लिए लायक हुए और भी नौकरी करने के लिए शहर गए. तो घर में देर ही सही लेकिन बाद में पैसा आने लगा. तो बच्चों ने कहा कि पापा आप जाकर के सारा पैसा चुका जो आप सेठ जी का.

1 दिन सारा पैसा लेकर के गए और सेठ जी से कहा कि मैं आपका सारा पैसा ब्याज मूलधन सारा लौट रहा हूं. सेठ जी ने एक पर्ची में लिख दिया. कि आपका सारा पैसा मुझे प्राप्त हो चुका है, पर्ची इनको दे दी.

और जो भक्त है वह पर्ची ले ली.

वह पर्ची को देखते रहे. तो सेठ जी काहे की देख लो ढंग से देख लो पढ़ लो. मैंने लिख दिया है सब कुछ.

तो भक्त ने कहा कि सेठ साहब मुझे पढ़ना तो नहीं आता मैं अनपढ़ हूं. आपने लिख दिया तो आपने सही लिखा ही होगा.

इस बात को सुनकर के सेठ जी के मन में एक शातिर आइडिया आया. सेठ जी ने कहा कि पर्ची वापस देना, मुझे हस्ताक्षर करनी है. मेरे हस्ताक्षर करना बाकी रह गया.

सेठ जी ने पर्ची वापस ली और एक नई पर्ची बनाकर के उसे पुराने पर्ची को पलट दी. और उसे नए पर्ची में लिख दिया कि अभी पैसे बाकी है.

दो-तीन महीने बीतने के बाद में फिर से सेठ जी उनके घर में आते हैं. और कहने लगे कि सब पैसे दो जो बकाया राशि है.

तो उसे भक्त ने कहा कि पैसे तो लौटा दिए. उसे सेठ ने पर्ची दिखा दी यह लो यह पर्ची देख लो. एक पर्ची तुम्हारे पास भी आए उसे भी तुम देख लो. एक पर भी तुम्हारे पास है और एक पर्ची मेरे पास है. तुम्हारे पास जो पर्ची है उसमें भी यही लिखा हुआ है मेरे पास भी पर्ची है उसमें भी यही लिखा हुआ है.

उसे भक्त का दिमाग थोड़ा घूम और मन में कहा की की सेठ जी तो धोखा घड़ी कर रहे हैं.

बिना देरी के उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

न्यायालय में जब जज साहब के सामने सुनवाई शुरू हुई. तुझे सब ने कहा कि बताइए क्या सबूत है ?

भक्त ने कहा की पर्ची है मेरे पास में इन्होंने तो बड़ा खेल ही कर दिया. जबकि मैंने सारे पैसे उनके झुका दिए थे.

जज साहब ने पूछा कि अच्छा कोई था वहां पर जब तुमने सेठ जी को पैसे दिए.

भोला भाला भक्त थे उन्होंने कहा की ठाकुर जी थे. उनके सामने ही सारे पैसे दिए हैं. जज साहब ने कहा कि अगली तारीख पर ठाकुर जी को पेश होना होगा.

पुलिस वाले गए गांव में नोटिस देने के लिए. और पूछा कि ठाकुर जी कौन है यहां पर. तो गांव वाले ने कहा कि इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता. ठाकुर जी का मंदिर जरूर है.

और कमाल आप देखिए कि जिस दिन सुनवाई शुरू हुई. जिस दिन ठाकुर जी का तारीख आया की जोर से आवाज लगी कि ठाकुर जी हाजिर हो, ठाकुर जी हाजिर हो.

कोर्ट रूम में एक बूढ़े व्यक्ति चलकर के आते हैं. माथे पर चंदन का तिलक लगा हुआ और आकार की कटघरे में खड़े हो जाते हैं. और जैसे सब पूछते हैं कि क्या नाम है तुम्हारा ?

उन्होंने कहा मेरा नाम ठाकुर जी है.

जज जैसा आपने कहा कि तुम्हारे सामने पैसे दिए थे ? उन्होंने कहा जी हां मेरे सामने ही पैसे दिए थे.

जज सब ने कहा कि सबूत क्या है ?

उसे बूढ़े महात्मा ने कहा कि आप एक कम कीजिए. आप सेठ जी को यहीं बैठ करके रखिए. और आप इसके घर पर किसी को भेजिए. इसके बड़े से घर में एक कमरे में तीन अलमारियां हैं, तीसरे नंबर के अलमारी में एक फाइल रखी है, जिसमें 22वें नंबर के पेज पर एक पर्ची चिपकी है उसको मंगवा दीजिए.

ठीक वैसा ही किया गया है जैसे महात्मा ने कहा था.

उसे पर्ची को मंगाया गया. और ठीक उसे पर्ची में लिखा हुआ था जैसे महात्मा जी ने कहा था. जो सही वाली पर्ची थी जिसमें लिखा गया था की आपके सारे पैसे प्राप्त हो गए.

जज साहब उसे चमत्कार के आगे नदमस्तक हो गए और उन्होंने कहा आज तो कमाल ही हो गया.

फैसला जो था वह भक्त के पक्ष में सुनाया गया. और सेठ जी को सजा हुई. जज ने तुरंत फटाफट सजा सुनाया और कार्यवाही समाप्त की. और कोर्ट से बाहर निकाल मिलने के लिए बाबा जी से तब तक के बाबा की जा चुके थे.

अगले दिन वह जज साहब गांव में गए. गांव में जाकर के उन्होंने पूछवाया की ठाकुर जी कहां रहते हैं ? कौन है ठाकुर जी?

लोगों ने कहा कि इस नाम का कोई आदमी नहीं रहता. ठाकुर जी का सिर्फ एक मंदिर है गांव में जाकर के उनके दर्शन कर लीजिए. इस पर उसे क्षण कहा जज साहब ने की नौकरी छोडूंगा. आज से भक्ति ही भक्ति करूंगा. प्रभु को मैं कोर्ट में खड़े रहने का आदेश दे दिया. इतना बड़ा पाप कर दिया.

पूरे भारत के मंदिरों में घूमते रहे. मंदिरों के मिट्टी को अपने सर पर लगाते रहे लेकिन कभी किसी मंदिर में नहीं बैठे जब भी उन्हें कोई पूछता की बैठ जाइए. तो वह कहते थे नहीं मैं भगवान को कोर्ट रूम में खड़े रहने का आदेश दे दिया था इतना बड़ा पाप किया, मैं मंदिर में बैठने के काबिल नहीं हूं.

प्रभु की भक्ति करते रहिए सही रास्ते पर चलते रहिए. प्रभु रास्ता जरुर दिखाएंगे और आपको संभाल लेंगे गिरने नहीं देंगे. इतना विश्वास बना करके रखिए

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