आरजे कार्तिक की कहानियां

प्रभु सब संभाल लेंगे | आरजे कार्तिक की कहानियां

एक बड़ी छोटी सी आरजे कार्तिक की कहानियां एक भक्त की जो भक्त प्रतिदिन मंदिर जाते थे. और जब मंदिर में कोई भीड़ नहीं होता था तब वह एकांत में चुपचाप जाते थे और जैसे ही मंदिर में भीड़ बढ़ने लगती और जोर-जोर से जयकारे लगाने लगते थे. और वह जोर-जोर से भजन कीर्तन गाने लगते हैं. और देखने वाले लोगों को लगता कि यह कमल की भक्ति कर रहे हैं. लोग जो है उनका धीरे-धीरे सम्मान करने लगे. और भगत जी भगत जी करके उनको नाम से बुलाने लगे.

और जैसे ही भीड़ बढ़ने लगती थी वह और जो आवाज निकाल के गाने लगते थे, और जोर से जयकारे लगाते थे भगवान के और मंदिर का पूरा माहौल वह बनाकर के रखते थे. महीने बीते चले जा रहे थे इसी प्रकार. और कुछ महीने बाद चातुर्मास का समय आया और एक महात्मा जी चातुर्मास के महीने में आकर के रहने लगे. और कहने वालों की यह जो चार मास है वह हम यही रहेंगे और यहीं रहकर के पूजा पाठ करेंगे.

वह जो मंदिर में भक्ति आता था उन्होंने महात्मा जी का बड़ा सम्मान किया. महात्मा जी बड़ी ज्ञान की बात बताते थे. यह जो भगत जी थे. यह नोटिस करते थे यह जो महात्मा जी जब भीड़ होते थे तब वह चुप रहते थे वह ज्यादा दिखावा नहीं करते थे भक्ति का. कोई उनको प्रश्न करता तो उनका जवाब दे देते. लेकिन जब भीड़ चले जाते थे और मंदिर में लोग काम हो जाते थे, भजन गाने लगते थे जो भी उनका गाने का तरीका है.

तो एक दिन भगत जी ने पूछा महात्मा जी मुझे एक बात समझ में नहीं आई मेरा आपका उल्टा सीन है . जब लोग नहीं रहते हैं तो मैं चुप रहता हूं और जब लोग रहते हैं तो मैं और जोर से जयकारा लगता हूं, और थोड़ा माहौल बनाता हूं, और लोगों को प्रेरित कर रहा हूं और कोशिश कर रहा हूं. आपकी बात मुझे समझ में नहीं आता जब लोग आते हैं तो आप शांत हो जाते हो और जब लोग चले जाते हैं तो आप खुद भक्ति करने लगते हो ऐसा क्यों?

तू उसे महात्मा जी ने कहा समय आने पर आपको जवाब मिल जाएगा.

कुछ समय बीतने के बाद में जो भगत जी थे उन्होंने अपने लिए नई चप्पल खरीदी. और चप्पल को पहन करके वह मंदिर गए. उन्हें चिंता सता रहे थे कि मैं चप्पल है, कोई पहन के ना ले जाए कोई गायब न कर दे. अंदर गए तो मन नहीं लग रहा था. रोजाना की तरह मंदिर में भीड़ पढ़ने लगी. लोगों को लगने लगा की भीड़ बढ़ने लगी तो यह जाएंगे भजन. किसी ने कहा कि आज चुप क्यों हो उसके बाद में उसने भजन करना शुरू किया कीर्तन करना शुरू किया वह जोर-जोर से गए तो रहे थे लेकिन उनका सारा ध्यान उनके चप्पल पर था, उनका चप्पल का क्या होगा ?

उन्होंने बेमन से भजन गया, भगवान की प्रार्थना की और फटाफट से मंदिर से बाहर निकले और जाकर के देखा तो चप्पल सुरक्षित थी.

चप्पल पहन के घर गए शाम को भोजन की और सो गए. सोने के बाद में उसे रात को एक सपना आता है एक दिव्य अलौकिक पुरुष जो मंदिर के बाहर खड़े हुए हैं और चप्पलों की रक्षा कर रहे हैं. और यह दिव्य अलौकिक देखते हुए उनकी नींद खुल गई.

उनको लगा कि घर में यदि मैं किसी को इस बात को बताता हूं तो उनको पागल कहेंगे कि यह पागल हुए बातें कह रहे हो, कोई मेरे बात को समझेगा नहीं. ऐसा सोच करके वहां बिना देरी किए हुए मंदिर की तरफ भागे जाकर के भगवान को प्रणाम करके महात्मा जी के पास बैठे.

बैठ करके उन्होंने महात्मा जी से कहा कि कल रात मैंने एक सपने देखे कि आप मुझे बताओ कि ऐसा सपना आया क्यों ?

महात्मा जी ने बोला कि क्या सपना देखा तुमने ?

उन्होंने बोला एक दिव्य पुरुष अलौकिक थे जो चप्पल की रक्षा कर रहे थे. महात्मा जी ने कहा, कहते हुए उनके आंखों में आंसू आ गए. यह जो दिव्य अलौकिक पुरुष दिखाई दिए वह कोई और नहीं वह स्वयं प्रभु थे . प्रभु तुम्हारे चप्पलों की रक्षा कर रहे थे और तुम्हें समझ रहे थे कि तुम मंदिर में हो करके चप्पल की सोच रहे हो और मैं मंदिर में हो करके तुम्हारी चप्पल की रक्षा कर रहा हूं. और तुम जब मंदिर में आ गए तो तुम्हें मेरे बारे में सोचना चाहिए. और तुम पूजा पाठ करते हुए चप्पलों के बारे में सोच रहे थे. मैं मंदिर में तुम्हारे सामने था फिर भी तुम्हारी चप्पलों की रक्षा कर रहा था.

अगर आपकी प्रार्थना सच्चे हृदय से हैं, तो परमात्मा आपकी हर बात की चिंता करेंगे आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. आपको सिर्फ उनकी चिंता करनी है , उनकी भक्ति की चिंता करनी है वह भी सच्चे हृदय से, सच्चे भाव से.

उसे दिन उसे समझ में आया कि यह महात्मा जी एकांत में भक्ति क्यों करते हैं.

आरजे कार्तिक की कहानियां बड़ी छोटी सी कहानी जिसका सर यह कहता है कि आशीर्वाद के साथ आप कमाल कर सकते हैं. अगर आप सच्चे हृदय के साथ में प्रार्थना करें. इसलिए मैं कहता हूं कि ऊपर वाले के आशीर्वाद के साथ अपनी मेहनत और अपनों के प्यार के साथ कर दिखाओ कुछ ऐसा की दुनिया करना चाहे आपके जैसा.

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